❣रूठना क्या ❣============
❣रूठना क्या ❣============
हर पल तेरी यादों से लिपटा
महफिल तेेेरी सजाता हूूँ
हर रूप में तुम तो भाते हो
हसरत तुम्हारी फिर अपनी
बयां कर दी जब तो सनम
क्यूँ ऐसे रूठ जाते हो।
खबर तुम्हें है जाने जाना
हम तो तुम पर कब से मरते हैं
हर बात याद करते हैं
बातें याद तुम्हें भी आती होगी
बदन का बदन से वह रगड़ना
इकरार कर जाते हो फिर
क्यूँ ऐसे रूठ जाते हो।
कसम है राग रागिनि
जिगर में खनकते हर तान की
यह गान प्रीत के दिल
दोनों को है भाते लुभाते
आओ न घूल कर इक होते हैं,
सनम जान से ऐसे
ऐसे नहीं रूठते हैं।