STORYMIRROR

Surendra kumar singh

Abstract

3  

Surendra kumar singh

Abstract

रुको यार

रुको यार

1 min
255


रुको यार

यहीं इन हसीन वादियों में

हम है,तुम हो,आसमान है

चाँद है,सितारे हैं हवाएं हैं

संगीत है

भोर की आहट है।


रुको यार यहीं

इन हसीन वादियों में

देखो पूरब में सूरज की लालिमा

झलकने लगी है

आसमान में देखो

आंखों से ओझल होते हुए

उस आखिरी सितारे को

देखो लताएँ पेड़ों से

लिपटने लगी हैं।

देखो कलियों को

फूल बनने को मचलने लगी हैं

देखो फूलों को

मुस्कराने लगे हैं

अपनी खुशबू उड़ाने लगे हैं

सूरज की उभरती हुयी लाली म

ें।

रुको यार यहीं

इन हसीन वादियों में

देखो इन हवाओं में उड़ते हुये

मनपसन्द चलचित्र

सुनो इन हवाओं का कर्णप्रिय संगीत

पीओ इस झरने का नशीला पानी

लड़खड़ाओ इन लहरों के संग

गुनगुनाओ कोई अनछुआ गीत

मुस्कराओ इन फूलों के संग

उड़ो आकाश में उड़ते हुये

परिंदों के साथ

सुर मिलाओ इनकी चहचाहट से

मिल जाओ आपस मे

पेड़ों और लताओं की तरह

खेलो अपनी कल्पनाओं के

नये नये खेल

चढ़ो पहाड़ की आखिरी छोटी पर

इन हसीन वादियों में

रुको।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract