ऋतुराज
ऋतुराज
धरती जब कुछ मुरझायी सी
पंछी भूले गान
पौधों के अधरों पर लाता
बसंत ऋतु मुस्कान
मंद समीरन दिल को भाये
पंचम स्वरमें कोयल गाये
ऋतुचक्र का सबसे है ये
प्यारा सा मेहमान
पौधों के अधरों पर लाता
वसंत ऋतु मुस्कान
हरियाली की चुनरी ओढे
धरती रंगों से होली खेले
जीवन का आनंदकंद है
ऐसा सौख्यनिधान
पौधों के अधरों पर लाता
वसंत ऋतु मुस्कान
ऋतुओं की ये ऋतु मस्तानी
हँसती सूरज किरण सुहानी
स्वर्ग लोक के कुसुमाकर से
खुश है हर इन्सान
पौधों के अधरों पर लाता
वसंत ऋतु मुस्कान।
