गीत
गीत
तमाम मसरूफियों के
बावजूद भी
अक्सर बातें होती रहती है
हम दोनों में
भले मन ही मनमें क्यूँ ना हो।
एक सुराग है अपने बीच
अदृश्य
मनभावन
तुम्हारे सुरों से जुड़ा हुआ
मेरा मन
शब्दों के बाग में
उमड़ता रहता है।
छलकती है
कुछ यादें
फिर न जाने
कब बनता है
एक प्यारा सा गीत
तुम्हारा और मेरा अपना।

