Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ranjana Mathur

Tragedy

4  

Ranjana Mathur

Tragedy

रोया किसान

रोया किसान

1 min
460



बंजर हो गयी धरती सारी

हृदय हुआ तार तार है।

फट पड़ा मांँ वसुधा का उर

शुष्क भूमि दरार ही दरार है।


न सरकारें करती चिन्ता

न प्रकृति की कृपा बरसती

कृषक हुआ असहाय अकेला

लागे जीवन से मृत्यु सस्ती।


कैसे वह काटे यह जीवन

कैसे पाले वह परिवार।

मन में आत्म हत्या के

बारम्बार ही उठे विचार।


न कोई सुने समस्या इनकी

इनकी न सुनता कोई गुहार।

सबके पेट को जो देता रोटी

हुआ है वही दुखी लाचार


एक नहीं कई ऐसी घटना

घटित हो रही बड़ी बड़ी

जो अन्नदाता ही न सुरक्षित

किसका दायित्व प्रश्न खड़ा


प्रकृति तो न वश में हमारे

किन्तु हमारा हो यह लक्ष्य

करें मदद आवाज बनें हम

कृषक की शासन के समक्ष!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy