पाक मोहब्बत
पाक मोहब्बत
होती हैं मोहब्बत पाक बहुत कुछ अलग नहीं होती है,,
एक लड़की से लड़की की भी मोहब्बत खास बहुत होती है।।
समाज जिसको हैं दुतकार रहा जाने क्यों इंसानियत को भी मार रहा,,
करता है प्रेम की बातो को अपनाने से बहुत दूर खड़ा।।
है पाक मोहबब्त उनकी भी वो भी इंसान ही तो है,,
क्यों रखे जाते है फिर नाम अनेक जब पहचान खुद उनकी भी तो है।
क्यों देते है हम अलग नाम अलग पहचान अलग समाज सा दर्जा उनको,,
क्यों नहीं है मिल पा रहा स्वतंत्र जीने का अधिकार उनको।।
ऐसा बताओ लिखा कहा है कि प्रेम जिस्मो से होता है,,
वो पाक है रिश्ता इतना ताउम्र जो रूह से जुड़ा होता है।।
करता हैं दुआ मिलने की मगर समाज कहां उनको मिलने देता है,,
बताकर के बदनामी का डर उसको खुद में घुटने देते हैं।।
होता हैं बहुत मुश्किल पहले तो खुद से खुद को स्वीकार
े जाना,,
फिर आता है समाज लगाने आरोपों को हज़ार उनके दामन पर।।
तरह तरह की बाते करके समाज उसकी रूह तक को झकझोर देता है,,
स्वीकार तो करता नहीं है उनको और ज़िन्दगी को भी तबाह किए देता है।।
होती है मोहब्बत पाक बहुत कुछ अलग नहीं होता इसमें,,
उनके लिए भी अनमोल है प्यार का तोहफा कोई गैर नहीं है वो।।
हार रोज नजाने कितने अपनी जानो को खोते होगे,,
इस समाज के ठुकराने के डर से अपनी बली देते होंगे।।
होता है दर्दनाक बहुत खुद पहले तो परिवार से ताल्लुक का ख़तम हो जाना,,
अपनों के द्वारा ही कलंकित कहलाना।।
है पुकार उस कौम की समाज के हर एक शख्स से,,
इंसान होना है गुनाह क्या तुम इंसानियत को भूल बैठे हो।।
आओ हम भी एक संकल्प ले इंसान है हम,,
इंसान के साथ प्रेम से रहे।।