Manju Saini

Tragedy Inspirational

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Manju Saini

Tragedy Inspirational

कभी बेबसी अपनी कहता हूं

कभी बेबसी अपनी कहता हूं

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मैं दरख़्त हूँ पुराना सा बेबसी अपनी कहता हूँ

चीख चीख कर अपने जीवन की दास्तान कहता हूँ


मैं दरख़्त हूँ पुराना सा या कहे कि जीर्ण शीर्ण सा

कोई महत्व नही अब मेरे होने का शायद..!

तभी काट दिया गया हूँ मैं बड़ी बेरहमी से

एक अदृश्य की पीड़ा जो मुझे मिली

मानव आज अपने हित ही लगा हुआ हैं

नही है उसको शताब्दियों से खड़े मुझ जीर्ण की


मैं दरख़्त हूँ पुराना सा बेबसी अपनी कहता हूँ

चीख चीख कर अपने जीवन की दास्तान कहता हूँ


मैं दरख़्त हूँ पुराना सा निरीह देख रहा हूँ 

कोई महत्व नही अब मेरे होने का शायद..!

दीन दृष्टि से कलयुगी मानव की और

शायद अब उसको महत्व ही नही रहा मेरा

मेरे अब तक किये उपकार का,मेरे दिए उपहार का

मेरे लिए अब उनके पास नही है समय एक क्षण का


मैं दरख़्त हूँ पुराना सा बेबसी अपनी कहता हूँ

चीख चीख कर अपने जीवन की दास्तान कहता हूँ


मैं दरख़्त हूँ पुराना सा, आस से देख रहा हूँ

कोई महत्व नही अब मेरे होने का शायद..!

कि कोई तो होगा जो रहम करेगा मुझपर

आप सब मे अपने महत्व को तलाशता सा

खड़ा रहा हूँ वर्षो से अपने कर्म निर्वहन मे

सोच कर कि मेरा भी महत्व है मानव मन में।


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