रोटी
रोटी


रोटी पैसों से बड़ी होती है,
रोटी पैसों से बड़ी होती है।
भूख लगे गर किसी को,
एक वही है जो उसे भरती है,
रोटी पैसों से बड़ी होती है
रोटी पैसों से बड़ी होती है।
भूख को कोई समझाये ज़रा
जाकर, कि वो देख लिया करे
समझ लिया करे,
आँखों में इंसान की ठीक से
वो पढ़ लिया करे,
उसकी शांत सी ज़बान जो
बहुत कुछ कहती है एक
दफ़ा उसे भी शांति से वो
सुन लिया करे,
कि जिसके पास रोटी नहीं
है उससे मिलने वो न जाये
उससे जान पहचान वो न
बढ़ाए
क्योंकि बड़े तो बड़े,
छोटे - छोटे नन्हे - नन्हे कदमों
को भी वो बहुत दौड़ाती है,
रोटी पैसों से बड़ी होती है
रोटी पैसों से बड़ी होती है।
सहर दोपहर हर पहर बहुत
से इंसानों कि इस बड़ी सी
दुनिया में
हर रोज़ कि बस एक वही
कहानी है
न दाना है न पानी है,
वो आखरी बार ठीक से कब
मुस्कुराये थे उन्हें तो ठीक से
ये भी याद नहीं
कब अगली दफ़ा वो
मुस्कुरायेंगे इसका भी अंदाजा
नहीं,
कभी कभी उनकी उम्मीदें
कई कई दिनो तक सो जाती हैं,
रोटी पैसों से बड़ी होती है
रोटी पैसों से बड़ी होती है।
मुसलसल वो इंतज़ार करते हैं,
हर दफ़ा वो हर किसी के
सामने अपने हाथ आगे करते हैं,
एक बात का फक्र है मुझे उन पर
उन्हें देखकर लगता है कि
इंसानियत पर भरोसा आज
भी कायम है,
उन्ही में हर दफ़ा भरोसे कि
ये लौ हर रोज़ जलती है,
रोटी पैसों से बड़ी होती है
रोटी पैसों से बड़ी होती है।