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RAGHAV BHARGAVA

Others

5.0  

RAGHAV BHARGAVA

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तो देखा क्या

तो देखा क्या

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सावन के महीने में तुमने ग़र

बारिशें नहीं देखीं,तो देखा क्या।

 

आज मौसम का हाल न पूछो,

वो तो इस माहौल में एक नटखट

सा बच्चा है, पल पल बिगड़ता है,

तुमने ग़र बादलों को रंग बदलते

नहीं देखा, तो देखा क्या,

सावन के महीने में तुमने ग़र

बारिशें नहीं देखीं, तो देखा क्या।

 

एक इनायत की तरह है ये सावन,

कुछ मुख़्तलिफ़ सा बाकी के अपने

साथियों से, एक अलग सी बयार है

इसमें,

कुछ अलग सी है इसकी बारिश

तुमने ग़र इस बारिश में खुद को

बेफ़िक्री में भिगाकर नहीं देखा,

तो देखा क्या,

सावन के महीने में तुमने ग़र

बारिशें नहीं देखीं, तो देखा क्या।

 

हमारे और तुम्हारे चेहरे खुद-ब-खुद

कुछ ज़्यादा ही मुस्कुराते हैं,

जब भी हम चाय का एक कप अपनों

के साथ बैठकर बिताते हैं,

तुमने खुद में कुछ बदलाव देखा है,

हाँ मैंने खुद में कुछ बदलाव देखा है,

एक अलग सा सुकून है तुम्हारे और

मेरे अंदर,

तुमने ग़र उस सुकून को जिया नहीं,

तो जिया क्या,

सावन के महीने में तुमने ग़र

बारिशें नहीं देखीं, तो देखा क्या।

 

एक चौराहे पर बारिश में भीगते बच्चे,

ज़मीन

पर पड़ी हुई एक भीगी पतंग,

हमारे और तुम्हारे घर से बहता पानी,

हर जगह एक नयी उमंग,

तुमने ग़र इन दिनों, इन्हें करीब से

देखा नहीं, तो देखा क्या,

सावन के महीने में तुमने ग़र

बारिशें नहीं देखीं, तो देखा क्या।

 

ये अक्सर न दिखने वाली मोहब्बत,

ये किसी की आँखों का किसी की

आँखों पर कुछ यूँ ठहर जाना,

एक नए इज़हार की कोशिश में किसी

को साथ लेकर, बहुत कुछ कहना तो

चाहते थे तुम उनसे,

पर केवल समोसे खाकर, बिना दिल

की बात कहे लौट आना,

तुमने ग़र कुछ किस्से इस तरह के

नहीं सुने, तो सुना क्या,

सावन के महीने में तुमने ग़र

बारिशें नहीं देखीं, तो देखा क्या।

 

बहुत कुछ कहना चाहती हैं वो तुमसे,

बहुत से किस्से और कहानियाँ हैं उनके

पास,

काफी समय बाद लौटकर आयी हैं,

यकीन मानो मेरा, बहुत भरोसा करती

हैं वो तुम पर,

तुमने ग़र इन मुसलसल बरसती बूंदों

को सुना नहीं, तो सुना क्या,

सावन के महीने में तुमने ग़र बारिशें नहीं देखीं,तो देखा क्या,

सावन के महीने में तुमने ग़र

बारिशें नहीं देखीं, तो देखा क्या, देखा क्या, देखा क्या।

   














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