STORYMIRROR

अर्चना तिवारी

Inspirational

4  

अर्चना तिवारी

Inspirational

रोम- रोम में भारत माता

रोम- रोम में भारत माता

1 min
280

जब अंधकार छाने लगता है

उम्मीद का दिया डगमगाने लगता है 

जब छूटने लगता है अपनों का भरोसा 

तभी प्रकृति की किरण 

जगमगाती है कहीं दूर  

भरोसे का देती है आश्वासन 

जो धीरे-धीरे नव जीवन 

की रोशनी बिखेरती है

भय और विश्वास के बीच

जीतता सदैव विश्वास ही है.


जन्म लिया जिस माटी में 

पले- बढ़े जिस माटी में 

माँ जैसा प्रेम मिला जिससे 

रज में जिसके सुंदर फूल खिले 

जिसकी माटी ने

प्रेम भक्ति की शिक्षा दी  

जिसकी माटी में

राष्ट्रभक्ति की दीक्षा ली 

माँ से बढ़कर मातृभूमि 

माँ ने ही हमको बतलाया 

उस पूजित पावन धरा को 

कर जोड़ नमन मैं करती हूँ 

दिल से पूजन अर्चना करती हूँ 

धन्य -धन्य मेरी भारत भूमि 

मेरे रोम –रोम में भारत माता 

नित मैं उनकी गाथा गाती हूँ 

नित मैं उनका वंदन करती हूँ ! 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational