रंगरेज।
रंगरेज।
सतगुरु प्यारे तुम ही हो मेरे रंगरेज।
मैली हो गई मेरी चादर ,किस विधि निर्मल होय।
कोशिश अब तो धूमिल पड़ गई, सूझत न कोई उपाय।सतगुरू ........
कितने अधम पातकी तर गए ,जो कोई तुमसे रोए।
असफल हर परीक्षा हो गई ,मेरो जग में ना कोय।।सतगुरु......
शैतानों ने मुझको ऐसा घेरा, जो हर पल मुझको डुबोये।
जब तक कृपा तुम्हारी ना होगी ,मुझसे कछु ना होए ।।सतगुरू........
निज प्रयास तो अब साथ ना देता, अब आश तुम्ही से होय।
क्या मुझ पापी पर दया ना होगी,अब किस दर जाना होए।।सतगुरू......
तुम तो समरथ अंतर की जानो, अब करो जो मर्जी होए।
मैं "नीरज" तो बाट निहारु ,कबहूँ तो कृपा होय।।सतगुरू.......