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Rekha Shukla

Drama Inspirational

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Rekha Shukla

Drama Inspirational

रंगोली

रंगोली

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घर में सबको अच्छी लगती थी खीर-पूरियां

और गरम पकौड़े हां खट्टी-मीठी चटनी थी

दादी बनाती मेह्सुब और किशमिश वाले लड्डू

घुघरा-मिठाई और चेवड़ा भी ...!!!


दर्जी घर में बैठ के करता था सिलाई....!!!

नये कपड़े और पटाखे ..रोज मिलती मिठाई...!!!

घंटा बजाते पुजारी कहता "जागो" सब रस देके जाता....!


मंदिर जाके भैया लगाता टिका और कुमकुम लगाती मैया

अम्मा संग मैं लगा देती रंगोली और साफ-सुथरा आंगन

दिन भर सबका मिलना झुलना सबके मुंह पे खुशियां थी

आशीष मिलती सदा नई नोट रुपये भी बटवे मे छुपाना


गजरावाली लम्बी चोटियां स्कर्ट को चुम झुमती थी

मैं मतवाली जब जब निकलूँ पड़ोसी किवांड से झांके

पांच दिन की दीवाली और चार दिन की चांदनी !

भारत की याद दिलाती हां, नैनो के दीप दीवाली !




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