रंगमंच
रंगमंच
दौड़ पड़ते थे ये नन्हे क़दम
जब शोर बाहर सुनते थे
आया - आया कठपुतली वाला आया
संग अपने खेल खिलौने
और ड्रामा लाया।
कठपुलियों का इतिहास पुराना
भगवान शिव के " काठ की मूर्ति"
में प्रवेश से ले कर
विक्रमादित्य के सिंहासन पे
जड़ित बत्तीस कठपुतलियों
तक जुड़ा सिलसिला निराला।
डोर - डोर से बंधी कठपुतली
नाच अनोखा दिखलाती
कभी ठुमकती कभी मचलती
खूब हमारा दिल बहलाती।
देख - देख उसको मन मेरा ये सोचता
क्या उसका दिल नहीं करता होगा
तोड़ सारे बंधन दूर मै भी सैर कर आऊँ
थोड़ा मचलू थोड़ा इतराऊ।।
करता तो होगा पर कर्म उसका यहीं
ये सोच वो संभल जाती होगी
जैसे आज हर आदमी कर रहा है
बन कठपुतली नाच रहा है।
बहुत मुश्किल होता है प्यारे
अपनी आजीविका के खातिर
हर एक मंच से गुजरना पड़ता है यारों
कहते है न " जिंदगी एक रंगमंच है"
हम तुम कठपुतलियां है
नाच रहे हैं आगे - पीछे
दिल में दर्द होटों पे मुस्कान
आंखों में ललक कुछ पाने की
डोर लिए है कोई और
फंदे फंसे है कहीं और
चले जा रहे हैं भागे जा रहे हैं
सीख नई पे नई सीखे जा रहे है
देख और दिखा ड्रामा दुनियां को
दुनिया रूपी रंगमंच पे नाचे जा रहे हैं
नाचे जा रहे हैं।
