रंग तेरे इश्क़ का
रंग तेरे इश्क़ का
1 min
194
हरसिंगार से झरते हो
मेरे मन के आंगन में,
समेट लेती हूँ
अपने ख्वाहिशो के आंचल में
तुम्हारे नांरगी सपने को
रुपहली सफेद सी
लिहाफ ओढ़ाकर खूद ही
साकार कर देखती हूँ
क्या तुम हो?