रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
बहन वीर के दिल का अभिमान होती है,
उसके महकते जीवन की शान होती है।
तिलक को लगा माथे पर वह अरदास करती है,
मुस्करा भाई के सिर पर खुशियों का ताज रखती है।
चंदन रोली से तिलक कर मंगलकामना करती है,
बहन भैया की लंबी उमर की आराधना करती है।
भाई की मुस्कान के लिए बहन सब वार सकती है,
प्यारे इस त्यौहार का पूरे साल इंतजार करती है।
किसी उपहार कि कोई कभी चाह नहीं रखती है,
माँ-बाबा की खुशियां और स्नेह की आस करती है।
लब पर दुआएं रखकर वीर की बलाएं लेती है,
बांधकर प्रेम धागा सुखी होने की फरियाद करती है।
कलाई पर स्नेह संग "एकता" शुभ आशीष देती है,
प्यार के पर्व पर बहना भाई को खुद से बांध लेती है।
