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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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रिश्ता

रिश्ता

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कौन अपना कौन पराया

कितने रिश्तों के लिए

भगवान तुने हमें बनाया

घड़ी घड़ी सबने हमको अजमाया


कौन अपना और कौन पराया

होते है रिश्ते दोनों

खून और दिल के

रहो हमेशा सबसे मिलके

समय समय पर सबने हमको बताया


बस कम ही लोगों ने हमारा महत्व

अपने नजरों में गिनाया

कौन अपना और कौन पराया

उन्ही रिश्तों को हमने

अपना नाम बताया 


जो पास रहे या दूर

पर हमेशा अपनेपन का अहसास दिलाया 

और बस वही रिश्ता अपना कहलाया।


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