रिप्लेसमेंट
रिप्लेसमेंट
ज़िंदगी सबको रीप्लेस कर देती है,
चाहे आप किसी के कितने भी अज़ीज़ क्यों न हों,
एक वक़्त के बाद उस शख़्स के लिए कोई और
शख़्स उतना ही अज़ीज़ हो जाता है,
आप रिप्लेस हो जाते हैं,
जिन हाथों में आपका हाथ हुआ करता था
वहाँ किसी और की हथेली आ जाती है,
शॉपिंग करते हुए,
सड़क पर चलते हुए जो क़दम आपके क़दम से
मिल कर चला करते थे,
वो साथ में नयी मंज़िल तलाश रहे होते हैं,
सब आँखों के सामने बदल रहा होता है
और आप नहीं बोलते हैं कुछ,
क्योंकि आप बोलना नहीं चाहते हैं,
यार, बोल कर या माँग कर जो प्यार
मिले वो प्यार नहीं ख़ैरात होता है,
धीरे-धीरे आप खुद को दूर कर लेते हैं
क्योंकि नज़दीकियाँ वाली दूरियों में
घुटन महसूस होने लगती हैं,
सब बदल जाता है,
बिना तोड़े वादे टूट जाते हैं,
बिना बदले रिश्ते बदल जाते हैं,
हम ज़िंदा रहते हैं और जीते-जीते कई मौत मरते हैं,
ज़िंदगी यही है,
ज़िंदा रहना और मर जाना !