रहें सदा मिल जुलकर
रहें सदा मिल जुलकर
कुछ भी हो लेकिन हम रहें सदा मिल जुलकर,
सुख हो या फिर दुख हो इन्हें बिताएं हॅंसकर।
अगर बांटते खुशियां अपनी वे कई गुना हो जाएं,
और बांटेंगे गमों को हम तो वे काफी कम हो जाएं।
जीवन हमने है जब जीना क्यों न बिताएं हॅंसकर,
कुछ भी हो लेकिन हम रहें सदा मिल जुलकर,
सुख हो या फिर दुख हो इन्हें बिताएं हॅंसकर।
सपने हर हालत में पूरे होंगे जो बढ़ेंगे साथ में मिलकर,
लाख मुश्किलें पड़ें उठानी वे फिर भी लगेंगी सुखकर।
निर्बलों के हम बनें सहायक उन्हें साथ रखें कुछ रुककर,
कुछ भी हो लेकिन हम रहें सदा मिल जुलकर,
सुख हो या फिर दुख हो इन्हें बिताएं हॅंसकर।
सबको अपने ही जैसा समझें देवें सबको ही सम्मान,
एक कुटुंब है सारी वसुधा जड़- चेतन में ही है भगवान।
भ्रातृत्व-भाव मूल आर्य संस्कृति का सकल जगत को हितकर,
कुछ भी हो लेकिन हम रहें सदा मिल जुलकर,
सुख हो या फिर दुख हो इन्हें बिताएं हॅंसकर।
