रेत सी फिसलती जिंदगी
रेत सी फिसलती जिंदगी
रेत सी फिसलती जिंदगी, लगती सुहानी,
जीवन मिला इंसान को, करो न मनमानी,
दुनिया के हर जीव पर, आती है जवानी,
एक दिन जीवन अंत हो,खत्म हो कहानी।
सादगी से जीते जन, पाते जगत में नाम,
दिल में जरा सोच ले, करो भलाई काम,
धीर धीरे गुजर जाये, सुबह हो या शाम,
सुंदर करके काम तुम, शरीर बनेगा धाम।
सादगी जिन्हें पसंद नहीं, रोते हैं एक रोज,
पाप कर्म में लीन रहे, करे बुराई की खोज,
समय बड़ा बलवान है, करना सीखो काम,
बुरे कर्म की एक दिन,मौत की मिले फौज।
रेत सी फिसलती जिंदगी, रहता सदा डर,
सुबह शाम बस नाम लो, कर ले हर हर,
शुभ कर्म करने से, होता जन का ही नाम,
परहित के काम करो, नहीं मौत का फिक्र।।