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AVINASH KUMAR

Abstract Inspirational

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AVINASH KUMAR

Abstract Inspirational

रेत की छत है और पानी की दीवारे

रेत की छत है और पानी की दीवारे

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रेत की छत है और पानी की दीवारें हैं।

कितने मजबूत बने आशियां हमारे हैं।


एक गुमशुदगी की वीरानी है घेरे हमको,

हम हैं महफूज कि इतने बड़े सहारे हैं।


पीठ पर बेंत के निशां हैं, पांव में छाले,

जिस्म तनता है और घाव इतने सारे हैं।


रोशनी के इस किले पर हमें है नाज बहुत,

जिसकी दीवार में पड़ने लगी दरारें हैं।


दिल की बस्ती में ठहरते नहीं हैं दो दिन भी,

ख्वाब की शक्ल में कुछ घूमते बनजारे हैं।


रेत की छत है और पानी की दीवारें हैं।

कितने मजबूत बने आशियां हमारे हैं।


जरा गौर तो करो, तुमने कैसे घर बनाए हैं रहने के लिए !

रेत की छत है और पानी की दीवारें हैं।

कितने मजबूत बने आशियां हमारे हैं।


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