Ranjeet Jha
Abstract
रावण
तेरे दस शीश
कम है
आजकल लोग
सौ चेहरे लगाकर
घूमते हैं
बदल लेते हैं
कपड़ों की तरह
और हम पहचान नहीं पाते
कब किससे मिले थे
क्या बात किया था
ढूँढना मुश्किल है
उसी इंसान को
उसी के अन्दर
दुबारा से
नये साल में न...
जामुन
माँ
कोरोना करप्श...
वो आम आदमी !
बंगाल
नया फ़ोन
खटमल
दो का आलू
मौन भी मृत्यु...
जो बाल्यकाल में भ्राता को विष देने का साहस करता, कि लाक्षागृह में धर्म राज जल जाएं जो बाल्यकाल में भ्राता को विष देने का साहस करता, कि लाक्षागृह में धर्म राज जल...
यह मुझे समझ नहीं आता इतना समझने की जरूरत भी क्या है यह मुझे समझ नहीं आता इतना समझने की जरूरत भी क्या है
आजादी का मतलब क्या है हम आप जानते हैं? आजादी का मतलब क्या है हम आप जानते हैं?
एक फूल का मिट जाना हीं, उपवन का अवसान नहीं। एक फूल का मिट जाना हीं, उपवन का अवसान नहीं।
अपने सतीत्व के लिए अग्नि परीक्षा देती हैं। न जाने कैसी होती हैं ये स्त्रियां ? अपने सतीत्व के लिए अग्नि परीक्षा देती हैं। न जाने कैसी होती हैं ये स्त्र...
द्रौपदी की करुणा पुकार क्यों नहीं सुन पा रहे हो? द्रौपदी की करुणा पुकार क्यों नहीं सुन पा रहे हो?
अभी नहीं मालूम जीवन की कड़वी सच्चाइयां अभी नहीं मालूम जीवन की कड़वी सच्चाइयां
गीत लिखूंगा मैं गांऊंगा मैं ऊंचे स्वरों में भारत देश की महिमा। गीत लिखूंगा मैं गांऊंगा मैं ऊंचे स्वरों में भारत देश की महिमा।
रावण को देखा, फिर शीश झुकाया उसने बड़े प्यार से मुझे उठाया गले लगाया, मेरी पीठ थपथपाया रावण को देखा, फिर शीश झुकाया उसने बड़े प्यार से मुझे उठाया गले लगाया, मेरी ...
गुलामी की बेड़ियों को हमने कई वर्षों तक सहा है, क्या होती गुलामी लंबे समय तक महसूस किय गुलामी की बेड़ियों को हमने कई वर्षों तक सहा है, क्या होती गुलामी लंबे समय तक ...
यह कैसा आगाज है, जिसका दिखे न छोर। समय व्यर्थ होता रहे, हो जाता मन बोर। यह कैसा आगाज है, जिसका दिखे न छोर। समय व्यर्थ होता रहे, हो जाता मन बोर।
सर पर फैलाई थी रंगीन छतरी, जिसके अनगिनत, छिद्रों में झांक सर पर फैलाई थी रंगीन छतरी, जिसके अनगिनत, छिद्र...
कई शासक तो युद्ध शिविरों में, करते शामिल नच लड़कियों को, कई शासक तो युद्ध शिविरों में, करते शामिल नच लड़कियों को,
सूरज की किरणों से आज, स्वयं नग्न जल जाऊं मैं सूरज की किरणों से आज, स्वयं नग्न जल जाऊं मैं
तब राम का नाम जुबां पे आता तो है फिर भी वह सत्य को झुठलाता है तब राम का नाम जुबां पे आता तो है फिर भी वह सत्य को झुठलाता है
ये पिंजरा ना भाता मुझको मुझे तिनकों का नीड़ बनाने दो ये पिंजरा ना भाता मुझको मुझे तिनकों का नीड़ बनाने दो
प्यार लुटाने वाला ही जग में आकाश कहा जाता है। प्यार लुटाने वाला ही जग में आकाश कहा जाता है।
अपने आपको ही बेवकूफ बनते हैं खुद ही खुद को गुमराह करते हैं अपने आपको ही बेवकूफ बनते हैं खुद ही खुद को गुमराह करते हैं
जीवन बदल दिया । शब्द नाद ने ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया । जीवन बदल दिया । शब्द नाद ने ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया ।