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Bhawna Vishal

Drama

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Bhawna Vishal

Drama

रात्रि बड़ी सुखदायी थी

रात्रि बड़ी सुखदायी थी

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प्राणाग्नि सी जलती रही,

सुख स्वप्न बन चलती रही,

नव-दीप लेकर आई थी,

रात्रि बडी़ सुखदायी थी।


तम जिसका दीप्तिमान था,

निष्प्राण वो प्राणवान था,

आशाएं जगमगाई थी,

रात्रि बड़ी सुखदायी थी।


गंतव्य पथ पर हम चले,

सौ-सौ कमल दल फिर खिले,

वीणा मधुर झनकाई थी,

रात्रि बडी़ सुखदायी थी।


उल्लास हिय में है हिलोरता,

भावों की परतें टटोलता,

वो उमंग की परछाई थी,

रात्रि बड़ी सुखदायी थी।


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