रात की बस ये ख़ासियत है
रात की बस ये ख़ासियत है
रात की बस ये ही खासियत है
कि तन्हाई ही तन्हाई है
न ही मोबाइल की घंटी
बजेगी बार बार,
न ही किसी के बेवक्त आने की वजह,
अपनी ही धुन में खोए रहेंगे हम,
शांति से गेम खेल सकेंगे अपनी,
या फिर ऑनलाइन लिख लेंगे,
या फिर पुरानी यादों
के घेरो में डूबे रहेंगे,
जब जो इच्छा होती है मर्ज़ी से
अपने ये शौक पूरे कर लेंगे,
चैन से फिर खर्राटे मारते हुए
सपनो की दुनिया मे खो जाएंगे,
या फिर तन्हाईओं में
छुप छुप के रो लेंगे,
तकिया अपना भिगो लेंगे,
कोई ना वो आँसू देख पायेगा,
रात की बस ये ख़ासियत है ।