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Kanak Agarwal

Abstract

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Kanak Agarwal

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रात बातूनी हुई है

रात बातूनी हुई है

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खामोशी जबसे तूने इख्तियार की है

ये रात भी बहुत बातूनी हुई है..


यूं तो तन्हा थे जिंदगी के सफ़र में हम

बाद तेरे तन्हाई और जवां हुई है..


गुल बहुत महके थे यूं तो गुलिस्तां में

चंद लम्हों ही में खाक सार हुए हैं..


जाने भी दो अदब की बातें यारों

दुनिया बेअदबी की कायल हुई है..



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