रास्ते...
रास्ते...
प्यार तो है मगर अनजान हो गए हैं रास्ते।
पंछी के जैसे उड़ते थे कभी,
आ गिरे हैं ज़मीन पर,
प्यार तो है मगर अनजान हो गए हैं रास्ते।
हंसते हंसते काटे थे जो रास्ते,
हो गए सूने,
प्यार तो है मगर अनजान हो गए हैं रास्ते।
जख्म मिले हैं जो,
भरते नहीं हैं अब तो,
प्यार तो है मगर अनजान हो गए हैं रास्ते।
रिश्ते भी छूटे, सपने भी टूटे,
मंज़र भी खो गए हैं
प्यार तो है मगर अनजान हो गए हैं रास्ते।