राष्ट्र में कोई भूखा न नंगा रहे
राष्ट्र में कोई भूखा न नंगा रहे


मेरे होठों पे हर पल माँ गंगा रहे
सारी दुनियाँ में ऊँचा तिरंगा रहे।
हिन्दू मुस्लिम सभी प्रेम बांटे यहाँ
मुल्क में अब कोई भी न दंगा रहे।
आँच आये अगर मुल्क पे जो कहीं
होने कुर्बान मुझसे पतंगा रहे।
लाल, पीले, हरे, श्वेत, केशरिया संग
मुल्क अपना ये रंग-बिरंगा रहे।
झूमते नाचते गीत गाते हुये
आदमी हर कोई अब तो चंगा रहे।
खेत फसलों से लहराये सारे ऋषभ
'राष्ट्र' में कोई भूखा न नंगा रहे।