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Ishwar kumar Sahu

Abstract Inspirational

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Ishwar kumar Sahu

Abstract Inspirational

"राष्ट्र भाषा हिंदी"

"राष्ट्र भाषा हिंदी"

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मेरी राष्ट्र की भाषा है हिंदी,

जैसे माथे पर चमकती है बिंदी।

हिंदी को किसी से बैर नहीं,

पर हिंदी से दुश्मनी पर खैर नहीं।

उत्तर से लेकर दक्षिण तक इसकी मान है,

पूरब से लेकर पश्चिम तक ये हमारी शान है।

अपनेपन से सबको लुभाती है हिंदी,

जन जन के मन को भाती है हिंदी।

सांकल की तरह एक दूजे को जोड़ती है पर,

कभी किसी को तोड़ती नहीं है हिंदी।

हिंदी के महान साहित्यकारों ने इसी में लिखा,

प्रेम, समरसता, भाईचारा हिंदी से सिखा।

तुलसी, मीरा, कबीर या हो रसखान,

हिंदी पर सबको है अभिमान।

हिंदी ने सबके मन को भाया,

पंत, दिनकर, दुश्यंत, सबने हिंदी में गाया।

सभी भाषा को माला में पिरोती है हिंदी,

कष्ट में मां की आंचल की तरह होती है हिंदी।

साहित्य की अथाह सागर है हिंदी,

सूर के सागर की गागर है हिंदी।

पढ़ने–लिखने वा बोलने में सहज सुगम,

अपने मधुरता से दूर भगाती सबके गम।

प्रहार पर टूटती नहीं दमकती है हिंदी,

दूर से हीरे की तरह चमकती है हिंदी।

विश्व प्रसिद्ध भाषा किसी से कम नहीं है हिन्दी,

पुत्र सा लाड़ करती मां सम है हिन्दी 

यूं तो इस देश में कई भाषाएं हैं,

पर जन जन की आशाएं हैं हिन्दी।

         


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