STORYMIRROR

Ishwar kumar Sahu

Abstract

4  

Ishwar kumar Sahu

Abstract

क्षमा आभूषण है

क्षमा आभूषण है

1 min
295


क्षमा ही धर्म है,

क्षमा ही कर्म है,

क्षमा ही पुण्य है,

क्षमा बिन शांति शून्य है।

          क्षमा आभूषण है,

           क्षमा पर्युषण है,

           क्षमा ही दया है,

          क्षमा ही निर्भया है।

क्षमा शांति है,

क्षमा बिन क्रांति है,

क्षमा शत्रुंजय है,

क्षमा क्रोध पर विजय है।

          क्षमा परोपकार है,

          क्षमा स्व उपकार है,

          क्षमा चिंतनशील है,

          क्षमा आशानिल है।

क्षमा महावीर का पर्याय है,

क्षमा बुद्धत्व का न्याय है,

क्षमा को जिसने साध लिया,

समझो जीवन रस निर्बाध पिया।

          


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract