निःशब्द
निःशब्द
मै शब्दों का सागर हूं,
पर निःशब्द हूं,
निर्विकार हूं ।
लगता है ,
मै निराकार हूं।
पर झांकता हूं ,
अपने अंदर,
तो लगता है ,
शब्दों का फनकार हूं।
मौन रहता हूं,
पर सब कुछ कहता हूं।
मन ही मन ,
हलचल करता हूं।
मै निकलता हूं जब,
प्रस्फुटन होती है।
दबा हुआ हूं पर ,
संतुलित आकार मे हूं।
कोई तो समझे,
मेरी बेबसी।
गुप्त हूं, सुप्त हूं पर,
शब्दों का मकड़ा जाल हूं मै।
समझ गया तो मायाजाल,
वरना नासमझ के लिए
काल हूं मै।
निःशब्द हूं ,
निर्विवाद हूं पर ,
शब्दों से आबाद हूं,
मै इशारों मे बोलता हूं
इसलिए निःशब्द हूं ।