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मिली साहा

Abstract

4.5  

मिली साहा

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राणा अमर सिंह

राणा अमर सिंह

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जिनकी वीरता और साहस ने, अकबर तक को विचलित किया,

उस वीर दयालु और राष्ट्र प्रेमी, राणा अमर सिंह की है यह कथा, 


बचपन से ही सुनते आ रहे थे जो, अपने पूर्वजों की गौरव गाथा,

पौत्र महाराणा उदय सिंह के और महारानी अजबदे पंवार माता,

 

शिशोदिया राजवंश मेवाड़ के शासक पिता वीर महाराणा प्रताप,

पिता की भांति ही अमर सिंह में कूट-कूट कर था देशभक्ति भाव,


न्याय भावना, नेतृत्व, वीरता, दयालुता और बहादुरी का सम्मान,

मुगलों के समक्ष महाराणा अमर सिंह को मिला चक्र वीर उपनाम,


महाराणा प्रताप सदैव समझते, अमर सिंह आलस से है ग्रसित,

किन्तु उन्होंने साहस से, अपनी वीरता को कई बार किया सिद्ध,


राष्ट्र से प्रेम था अमर सिंह को, पूर्वजों के इतिहास से था लगाव,

शौर्य और प्रताप का संगम था वो, था उसमें देशभक्ति का भाव,


संग्राम और प्रताप का वंशज फिरंगीयों के आगे कभी न झुका,

अपनी रगों में बहते हुए लहू का, सदैव अमर सिंह ने मान रखा,


मृत्यु से पूर्व महाराणा प्रताप ने उत्तराधिकारी था किया घोषित,

मेवाड़ वंश परंपरा अनुसार, अमर सिंह हुए शासक स्वीकारित,


न्याय प्रियता, कृपाशिलता गुण इनके, प्रजा करती थी आदर,

राष्ट्र-हित के लिए अमर सिंह ने, निर्माण करवाया बढ़-चढ़कर,


प्रतापेश्वर महादेव मंदिर, महाराणा प्रताप के नाम से बनवाया,

सिसोदिया राजवंश का इतिहास, ग्रंथ अमरसार में लिखवाया,


मुगलों से कभी न मानी थी हार, हर अनुबंध को पैरों तले रौंदा,

 राष्ट्रभक्ति दिल में लिए मर मिटा था वो अमर सिंह वीर योद्धा।


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