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Shubhra Varshney

Abstract

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Shubhra Varshney

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राखी कच्चे धागे पक्की प्रीत के

राखी कच्चे धागे पक्की प्रीत के

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बारिश की फुहार लाए मिट्टी में सुगंध,

रेशम की कच्ची डोरी करे प्यार का अनुबंध।

प्रतीक्षारत नयन ताके स्नेह का त्यौहार,

रिक्त कलाई सजाकर मिले रक्षा का उपहार।

देख डोरी बहना के हाथों में आ गए आह्लादित पल,

भाई बहन के प्रेम को देख धरा अब हुए जाए विकल।

पावन राखी धन्य है देख कर यह नेह का बंधन,

देख भाई को बहन का हृदय महक रहा बन चंदन।

रोली संग अक्षत साजै भैया के मस्तक पर,

सुशोभित प्रीत के धागे भाई की कलाई पर।

अति पावन दिवस है बहनों को अति प्यारा,

प्यार की सौगात लिए खड़ा है भैया न्यारा।

लिए अदृश्य रक्षा कवच राखी रिश्तो का अहसास,

नेह के बंधन में बांध भाई को प्रगाढ़ करती विश्वास।

कच्चे धागों से बनी डोरी है पक्की प्रीत की,

भाई की कलाई पर सजी बहना के आशीष की।

रक्षा सूत्र समर्पित उन वीर जवानों को भी सीमा पर,

जिनकी छाया तले सुरक्षित भारतवासी इस धरा पर।

एक रक्षा सूत्र उन कलाइयों पर भी जाकर सज जाए,

कोरोना रक्षार्थ हेतु चिकित्सा कर्मी जो अड़ जाए।



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