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Savita Gupta

Abstract

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Savita Gupta

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राजदुलारी

राजदुलारी

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तुझे ग़ज़ल कहूँ या कविता 

तुझे धूप कहूँ या छाया

तुझसे ही है सवेरा 

तुझसे ही है उजियारा


तुझे गीत कहूँ या सरगम

तुझे प्रीत कहूँ या शबनम

मेरी मन्नत और दुआ हो

मेरी चाहत और पूजा हो


तुझे गीता कहूँ या तुलसी

तुझे सीता कहूँ या काशी

तोड़ बंधन के पिंजरे को

खोल कर अपने परों को


तुझे नैया कहूँ या माँझी 

तुझे लहर कहूँ या आँधी 

मत रूकना तू बाधा से

भरी रहना तू आशा से


तुझे चंदन कहूँ या रोली

तुझे रंग कहूँ या रंगोली

तुझसे ही है दिवाली

तुझसे ही होती है होली।


तु्झे बेटा कहूँ या बेटी

तुझे परि कहूँ या मुन्नी 

पापा की राज दुलारी

आँगन की चिड़िया हमारी


छाप दे तू नील आसमाँ पर

नसीब की तहरीर अपनी

रोक सकें ना पिंजरा कोई

कर ले तू सपना पूरी...।



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