राजा जी और ग़रीब
राजा जी और ग़रीब
राजा जी का महल बड़ा,
ग़रीब की झोपड़ी छोटी है !
राजा जी चाहें सारा जहां,
ग़रीब तो मांगे इक रोटी है !
राजा जी घूमे गाड़ी पर,
ग़रीब तो यूँ फिरे पग-पग !
राजा जी त्यौहार मनायें,
ग़रीब भूखा पड़ा रहे अलग !
राजा जी तो करें शिकार,
ग़रीब यहाँ शिकार होते हैं !
राजा जी चाहें मरे गरीब,
कि ये ग़रीब बेकार होते हैं !
राजा जी कौन हैं, ये तो,
हरेक मुफ़लिस को पता है !
उन्हें राजा जी बनाया हमने,
सहेंगे कि ये हमारी ख़ता है !
