राह के कांटे
राह के कांटे
कांटे जो बोये गए
तेरी राह मैं कल तक
आज उन्हें निकालने
का अनुकूल समय हे
पा ले उस चुभन
उस दुखन से मुक्ति
जो तूने पायी कांटों
की चुभन से
कल क्या हो ये
किस को खबर हे
निकाल के कर ले साफ
कांटे रहित अपनी राह
जिससे तू चल सके
उस पर जो हो राह
सुखदायक, निरापद
आखिर कब तक
कोई बोयेगा
वो भी थकेगा, मिटेगा,
चलेगा उन्हीं राहों पर
जिस पे तू हे चल रहा
उसे भी चुभेंगे
होगी चुभन उस वक्त
जब वो हे चलेगा
यही होता दुनिया में
जो दूसरे के लिए
बोता कांटे उसको
फूल कैसे मिलेंगे
यही हे दुनिया की रीत
दुनिया का दस्तूर
फूल बिछा क़दमों मैं
फूल पा क़दमों मैं
ये कोई समझाये उनको
जो बना रहे कांटों की राह
कांटे बिछाने का काम
मखमली दूब उनको मिलती
जो उसे बिछाते
फूल की खुशबु मिलती
उन्हें जो फूल लगाते
अतः फूल लगा
फूल बिछा
मखमली दूब बिछा राहों में
जो तुझको भी सुखन दे
उसको भी ना दे चुभन।