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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

राह देख रही, मां उसकी

राह देख रही, मां उसकी

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राह देख रही है, मां उसकी

आह भर रही है, मां उसकी


उसका बेटा क्यों न आया,

उसका दुलारा क्यों न आया,


आँख रो रही है, ले ले डुस्की

राह देख रही है, मां उसकी


उसका बड़ा अरमान था

सैनिक बनना जान था


सब सैनिक घर आ गये है,

कोई खबर न आई उसकी


आंखे लाल हो गई उसकी

राह देख रही है, मां उसकी


जब खबर मिली उसकी,

मिली माटी में माटी उसकी


ये सुन रोना-धोना भी

भूल गई मां उसकी


तिरंगे में लिपटा देश शव,

सुधबुध खो गई मां उसकी


हाय मेरे बेटे,सुन चित्कार,

ख़ुदा की निकल गई चीख,


धन्य हो ऐसी मां,

धन्य हो ऐसा बेटा,


जिसने दी सबको खुशी,

राह देख रही मां उसकी



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