राधा हमजोली खेले होली
राधा हमजोली खेले होली
पद्मावती छंद
मात्राभार प्रत्येक पंक्ति - 10 8 14 = 32
चरणांत - 112 या 12
मोहन गिरधारी, कृष्ण मुरारी,
राधारानी मन बसिया।
धरकर पिचकारी, करे तयारी,
गोपियों के प्रभु रसिया।।
काला हरा पिला, गुलाबी निला,
रंगो से वे रंग गयी।
गोपिया बिचारी, भीगी सारी,
जो राधा के संग गयी।।
राधा हमजोली, खेले होली,
सारे गोविंद संग मे।
राधा रंगाए, रंगी जाए,
मोहन के प्रेम रंग मे।।
राधिका पुकारे, पिया हमारे,
ना ईच्छा भंग कीजिए।
खेलो मनमानी, फाग सुहानी,
अंतर्मन रंग दीजिए।।
नंद के दुलारे, मोहन प्यारे,
मुझे भक्ति रंग दीजिए।
बांसुरी बजैया, नाग नचैया,
जीने का ढंग दीजिए।।
यशुमति का तारा, कंस सँहारा,
मम संकट टार दीजिए।
गोकुल के स्वामी, अंतर्यामी,
इतना उपकार कीजिए।।
