प्यार वो है जो
प्यार वो है जो
प्यार वह नहीं जो महबूब के साथ
हमबिस्तर होकर खत्म हो जाए,
प्यार तो वो है जो बिस्तर पर साथ
ना होते हुए भी ख्वाबों में आए,
प्यार वो नहीं है जो हर रोज की
मुलाकातों में इजहार से करते हो,
प्यार वो है जो दो पल मिले तो
कंधे पर सर रखकर बैठे हो,
प्यार वो नहीं है जिसका जिक्र
बड़ी-बड़ी किताबों में लिखा गया है।
प्यार तो वो शब्द है जो बरसों से
ढाई अक्षर के प्रेम में पढ़ा गया है,
प्यार बेशक वो भी नहीं जो तुम
रोज अपने आप से करते हो,
प्यार है जब तुम खुद को खोकर
उस पर दिलोजान से मरते हो,
प्यार वह नहीं जो आजकल के
नौजवानों के सर चढ़के बोलता है,
प्यार वही है जो अक्सर
महबूब के सजदे में झुकता है,
प्यार वह नहीं जो खत्म हो तो
बदले की भावना रखता है,
प्यार वह है जो चला भी जाए तो
जीने का ढंग भी बदल देता है,
प्यार में दो दिल राजी हो जाए
प्यार में हर गुनाहों की माफ़ी हो जाए,
तेरे मेरे बस से बाहर है ये समझो
प्यार वो है जो खुद ब खुद हो जाए।