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प्रभात मिश्र

Romance

4.7  

प्रभात मिश्र

Romance

प्यार था वो

प्यार था वो

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प्यार था वो या आकर्षण 

ये भेद कोई बतलाये तो 

कैसा होता हैं ये प्यार 

और इसमें क्या-क्या होता हैं

आकर्षण और प्यार में

मूलतः अंतर कितना होता हैं


कैसे पता चले प्रभात

यह आकर्षण है प्यार नही

कोई आकर पास मेरे भी

यह रहस्य सुलझाये तो

प्यार था वो या आकर्षण

यह भेद कोई बतलाये तो


रिश्तों के ताने बानों का

केन्द्र बिन्दु जो रहता था

बिना झिझक मैं जिससे अपनी

सारी बातें कहता था 


वो ही मेरे कान में आकर

यह रहस्य सुलझाये तो 

प्यार था वो या आकर्षण

यह भेद कोई बतलाये तो 


जिसका आना ही बसंत था

और चले जाना पतक्षण 

वो भी कड़ी धूप में अपना

बदन कभी झुलसाये तो 

ॠतुओं के इस कालचक्र का


मुझको भेद बताये तो

प्यार था वो या आकर्षण

यह भेद कोई बतलाये तो।


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