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Kavita Sharrma

Abstract

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Kavita Sharrma

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प्यार के रंग

प्यार के रंग

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होली है रंगो का त्योहार

सारी नफ़रतें छोड़ो आज

छोटी सी है जिंदगी

गले मिलो सबसे आज


क्या रखा है शिकायतों में

आज हैं जो क्या पता कल कहां हों वे

तरस जाएंगी फिर ये आँखे

कैसे उन्हें गले लगाएं


आज का मौका जाने न दो

इक पहल चलो प्यार की कर लो

चुटकी सा रंग लगा दो

हैप्पी होली से खुशियां पा लो


थोड़ा सा हुड़दंग मचा लो

रंगों से जीवन रंगीन बना लो। 


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