प्यार का रविवार।
प्यार का रविवार।
सही कहा आपने साहिबा कि,
फर्क नहीं पड़ता है दूर रहने से।
रिश्तों में ऐतबार होना ही चाहिए,
यहां बातें केवल ऐतबार की नहीं।
एक पल भी अकेले नहीं रह सकते,
उन बेचारे आशिकों का क्या होगा।
गर प्यार के लिए भी छुट्टी मांगने लगे,
और वो भी प्यार का रविवार चाहिए।
साहिबा ये प्यार है कोई व्यापार नहीं,
कि यहां पर भी एक और रविवार चाहे।
खट्टी-मीठी यादों के सहारे ही कुछ जीते,
जो अकेले ना रह पाए तो क्या गुनाह हुआ।