प्यार का डर
प्यार का डर
यह सही है कि उनसे से अनबन नहीं है,
सब सही है फिर भी अब वह मन नहीं है...
दिल में नहीं मेरे कोई गिला शिकवा,
क्योंकि अब भी मेरे प्रियतम वही है।
साथ दे रहे हो मेरा तो चलना संभल कर,
क्योंकि मेरे लिए भी यह राहें नयी है।
हाथ थामा है अगर तो साथ देना भी मेरा,
क्योंकि तुझ तक पहुंचने की राहें नहीं है।
अभी रूप का स्वच्छ सागर हो तुम,
शायद इसीलिए तेरे भी दीवाने बहुत है।
डर लगने लगा है “देव” दिल में उठने वाली लहरों से
क्योंकि हम इश्क की दरिया के किनारे बहुत हैं।