पूरी दुनिया से निराली
पूरी दुनिया से निराली
पूरी दुनिया से निराली
है मेरे देश की धरती
अनंत भाषाएं. संस्कृतियां
यहाँ एक साथ हैं बसती
खान पान. रहन सहन और
वेशभूषा में दिखते कई रंग
देश प्रेम का भाव भरा करता
हैं यहाँ हर मन में अजब तरंग
कदम कदम पर दिखती यहाँ
प्रकृति की खास मेहरबानी
छह ऋतुएं आकर समझाती
हैं सहज बदलाव की निशानी
पूरब.पश्चिम. उत्तर. दक्षिण को
आपस में जोड़ते हैं चारों धाम
राम. कृष्ण. शिव भक्तों की टोली
जपती सतत अपने ईष्ट के नाम
साढ़े छह लाख गांवों तक पसरा
दिखे खेत खलिहानों का परचम
फल.फूलों और शाक.भाजी की
उपलब्धता यहाँ कदम दर कदम
जल. जंगल. सागर और पर्वत
सब इसके दुनियाभर में न्यारे
कदम कदम पर विविधता के दर्शन
कराती यह धरती अपने बांह पसारे
बड़े नसीब वालों को ही मिलता है
इस पवित्र पावन धरती का प्यार
परमेश्वर भी लालायित होकर लेते
रहे यहाँ मानव के रूप में अवतार।
