पूछो तो उस सागर से
पूछो तो उस सागर से
पूछो तो उस सागर से
पानी जहरीली है या पवन ?
मिट्टी ज़हरीली है या गगन,
या फिर सम्पूर्ण वातावरण ?
कहां फैला है वह प्रदूषण
किस ने की है प्रकृति की मौलिक
शुद्धता और पवित्रता का हरण ?
पूछो तो उस सागर से
आर्थिक अभिवृद्धि की नशा में
और विज्ञानी आविष्कार की नशा में
कहीं धुएं तो कहीं परमाणु परीक्षण
खेतों में भी रसायन - ज़हर घुला जल
कहीं मानव ही तो नहीं वो दानव
विषैला बना रहा पर्यावरण ?
पूछो तो उस सागर से
क्यों उसने है नकाब पहना ?
जबकि वही तो है पृथ्वी का गहना।
उसमें विलीन नदियां झरना
कैसे हुए इतने मैले विषैले कि
उसने फिर नकाब पहना।
पूछो तो उस सागर से
नकाब वाले चेहरे का संकेत क्या है ?
क्या मुस्किल है अब जीना ?
ज़हर को कैसे पीना
और शांसें कैसे लेना ?
या फिर बर्बाद जहरीला हो गया है
हमारा सुंदर आशियाना।
