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Pushp Lata Sharma

Inspirational

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Pushp Lata Sharma

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पुस्तक कलम करें मुझे, निर्मल हृदय व्यवहार दो

पुस्तक कलम करें मुझे, निर्मल हृदय व्यवहार दो

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वागीश्वरी वरदायिनी, सत लेखनी आधार दो।

मन में रहे सद्भावना, माँ शब्द का भंडार दो


आता नहीं जप तप मुझे , करती मगर आराधना।

भर भावना करुणा दया, दिन रात करती साधना।

पुस्तक कलम कर में मुझे, निर्मल हृदय व्यवहार दो।


वागीश्वरी वरदायिनी, सत लेखनी आधार दो।


आई शरण पद्मासिनी, साहित्य की मैं साधिका।

छलछद्म सारे दूर कर, स्वीकार कर लो याचिका।

आकर बसो माँ कंठ में, हर वाद्य को झंकार दो


वागीश्वरी वरदायिनी, सत लेखनी आधार दो।


हों कर्म पथ पर अग्रसर , मन में रहे अभिमान ना।

यदि भूल हो जाये कभी, उँगली पकड़कर थामना।

सुख शान्ति सुंदर देश हित, माँ कंठ मंत्रोच्चार दो।


वागीश्वरी वरदायिनी माँ, सत लेखनी आधार दो।



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