पत्थरों की अभिलाषा
पत्थरों की अभिलाषा
ऐ खुदा तुमने कैसा हमे बनाया ?
इन इंसान ने हम पे कैसा कहर है ढाया ?
हम मगरुर थे तुम्हारे कीमती
हाथो से बनके,
आज इंसानों ने हमारे दिल पे छेंदी हथौड़ा चलाया है।
ऐ खुदा बनाने वाले तो आप थे,
आज इंसान ने हमारा किस्मत क्या से क्या बनाया है?
एक मंदिर में पूजा जाता तो एक
चरणों तले रौंदा जाता।
ऐ खुदा तूने कैसा हमें बनाया है
आज इंसानों ने हमपे देख कैसा कहर बरपाया है?
आज कैसी बेकरारी है छाई
मौसम में कैसी उदासी आई?
मेरा तो नसीब ही है पत्थर,
किसे हम अपना दिल का हाल
सुनाए?
हम भी यहां रहते हैं तन्हा
हम अपना किसे हाल सुनाएं?
हमें तो बना दिया पत्थर
कैसे जुबान से कहें हम पाए ?
हम एक ही भाई थे आज इंसान है
हमें जुदा किया है,
किसी को मंदिर मस्जिद बनाया
किसी को रास्ते मे रौद दिया है
कैसी दास्तान है पत्थरों की
कैसे तुम्हें बताएं?
आज इंसान के अत्याचारों से यह
गुत्थी कैसे सुलझाएं?
ये कभी मोहब्बत का साक्षी मानकर पूजा करते हैं।
तो कभी हमें हमे पत्थर कह जाते
है।
हम है तो एक ही भाई?
ये इंसानों की कैसी जुस्तजू है
एक पत्थर को पूजा जाता
और दूसरे पर इतना कहर है?
ऐ खुदा हम पत्थरों के भी आंसू बहते हैं।
हम भी घिस्ते घिस्ते दम तोड़ देते हैं।
इंसान के इन कहर से हमें बचाओ।
