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Shyamm Jha

Abstract

5.0  

Shyamm Jha

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पत्थर

पत्थर

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560


१.

उसे पत्थर को पूजना

अच्छा लगता था

इसलिए

मैंने खुद को

पत्थर सा बना लिया।

२.

अब उस पर है,

की अपने हाथ के

जादुई चिराग से

तराश कर

पूजती है या बेचती है।

३.

पूज कर भी बेच देती

बेच कर भी पूज लेती

ये सब कुछ निर्भर है

की वह अच्छा है या बुरा

जानने के लिए मरना पड़ता है

४.

ये कौन सी आज की बात है

मरता तो लोग हर रोज है

पर डरता नहीं किसी से

जब डरता है तब पूजता है

उसी पत्थर के भगवान को


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