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Rajit ram Ranjan

Abstract

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Rajit ram Ranjan

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पत्थर की इस दुनिया में !

पत्थर की इस दुनिया में !

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किसे मनाने चले हो तुम 

कौन तुम्हारा यहां अपना हैं 

झूठे रिश्ते भी बनाते हैं लोग 

यहां अपना काम निकालने के लिए 

तुम्हें यक़ीन नहीं होगा 


ये सुनकर कि 

ये जीवन भी एक झूठा सपना हैं 

किसे मनाने चले हो तुम 

कौन तुम्हारा यहां अपना हैं 

पत्थर कि इस दुनिया में 


पत्थर जैसे लोग हो गये 

इंसान कोई दिखता नहीं 

पता नहीं सब कहाँ खो गये

मयाबी इस संसार में 

सबको अच्छा दिखना हैं 

किसे मनाने चले हो तुम 

कौन तुम्हारा यहां अपना हैं !


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