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Anu Chatterjee

Abstract Inspirational

2.5  

Anu Chatterjee

Abstract Inspirational

पतझड़, तुम ऐसे ही मुस्कुरा देते हो

पतझड़, तुम ऐसे ही मुस्कुरा देते हो

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नवीनता का आगाज़ बनकर,

सुर्ख पत्तों को पेड़ से आज़ाद कर,

तुम जीवन के नवीनीकरण का आधार बताते हो,

पतझड़, तुम ऐसे ही मुस्कुरा देते हो।


हवा में कोई आवेग नहीं,

सूर्य की किरणों में वो तपिश नहीं,

कुछ वैराग्य सी शीतलता है,

मन में कोई भेद नहीं,

पतझड़, तुम ऐसे ही मुस्कुरा देते हो।


कुछ रंग नवरंग तुमने चढ़ा रखे हैं,

कुछ किलकारियों के स्वर तुमने समेट रखे हैं,

मुझे तो तुम झरने से लगते हो,

जो कल कल हर पल बहती रहती है,

शायद कुछ प्रेम गीत भी तुमने चुन रखे हैं,

जीवन की क्षणिक वास्तविकता से परिचित कराते हो,

पतझड़, तुम ऐसे ही मुस्कुरा देते हो।



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