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Satyam Kumar Srivastava

Abstract

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Satyam Kumar Srivastava

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पतझड़ का मौसम

पतझड़ का मौसम

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आया मौसम पतझड़ का

पत्ते गिर के डाली से, धरा पे कैसे बिखर गये

घर की खिड़की खोली मैंने, देखा ये दृश्य अजब।


अम्मा से पूछा मैंने, कैसा है ये द्श्य अजब

मुसका के बोली अम्मा, ये है पतझड का मौसम।


इस मौसम में गिर के पत्ते बसन्त मे फिर लगते हैं

नये कोपलें नई शाखायें फिर से इन पे लगती हैं।


चारो ओर हरियाली सा छा जाता है मौसम

इसीलिये बसन्त कहलाये ऋतुओ का राजा।


सुन के ऐसी बातें मुख से, मन में जागी एक उमंग

देखूँ ये दृश्य मनोहर, कब आयेगा ये मौसम।


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