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Satyam Kumar Srivastava

Classics

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Satyam Kumar Srivastava

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महाकाल की उपासना

महाकाल की उपासना

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उपासना हूँ उपासना मैं

हूँ उपासक उस महाकाल शिव जी की मैं

इसीलिए हूँ उपासना मैं

अवघड दानी नाथ ज्ञानी है त्रिकाल दर्शी रुद्र रूप

है काल भी भयभीत जिससे महाकाल मृत्युंजय वाणी

अटल सत्य निराकार स्वरूप नव चेतना सृष्टि चरा चर

है तेज जिसके मुख मंडल पर हे नाथ स्वामी मम सुप्रभातम् 

है त्रिशूलधारी त्रिनेत्र वाला परमज्ञानी वो सन्यासी

मस्तक की शोभा बढ़ाता चंद्र और जटा में जिसके चंचल गंगा

है नीलकंठ वो शम्भू अविनाशी

रम गयी हूं उनके दिव्य रूप में बन गयी उपासक उसकी मैं

उपासना हूँ उपासना मैं


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